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पवित्र मणिमहेश यात्रा 7 से 23 सितंबर तक, पंजीकरण जरूरी, जम्मू से पैदल पहुंचे श्रद्धालु

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  1. पवित्र मणिमहेश यात्रा 7 से 23 सितंबर तक, पंजीकरण जरूरी, जम्मू से पैदल पहुंचे श्रद्धालु

*डोडा और कुठआ जिलों से 100 मणिमहेश यात्रियों का जत्था चार दिन की पैदल यात्रा करके सलूणी पहुंचा। लंगेरा से होते हुए यह जत्था सोमवार को सलूणी मुख्यालय पहुंचा, जहां पर ठहराव के लिए श्रद्धालुओं ने अपना डेरा जमाया हुआ है।*

पवित्र मणिमहेश यात्रा प्रशासनिक तौर पर 7 से आरंभ होकर 23 सितंबर तक चलेगी। *यात्रा में शिवभक्तों का पंजीकरण करवाना अनिवार्य रहेगा। इसके लिए बाकायदा डीसी चंबा के फेसबुक पेज पर पंजीकरण संबंधी लिंक भी शेयर किया गया है। यात्रा के आरंभ होने से पूर्व प्रशासन समस्त तैयारियां मुक्कमल करने में जुटा हुआ है। वहीं, 3 सितंबर से हवाई सेवा का लाभ भी श्रद्धालुओं को मिलना आरंभ हो जाएगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं।* पहली मर्तबा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को हड़सर से आगे 13 किमी यात्रा के दौरान रास्ते में प्रति किमी दूरी, स्वास्थ्य, पुलिस और शौचालय संबंध सूचना के सूचना पट्ट भी देखने को मिलेंगे। इतना ही नहीं, यात्रा के दौरान कई नई जगहों पर लंगर लगे मिलेंगे। भारी बारिश के कारण पुरानी लंगर लगाने वाली जगहों के बह जाने के बाद इस प्रकार की व्यवस्था रहेगी।

लंगर समितियों को शौचालय की व्यवस्था भी करनी होगी। इसके नियमित सफाई के लिए सफाई कर्मी की तैनाती भी करनी होगी। उपमंडलाधिकारी कुलवीर सिंह ने खबर की पुष्टि की है। मणिमहेश यात्रा शुरू होने के साथ ही डल झील में ठंड बढ़ना भी शुरू हो गई है। रविवार को डल झील ठंड की वजह से जम गई। श्रद्धालुओं ने झील के ऊपर बनी बर्फ की परत को तोड़कर स्नान किया। ऐसे में सितंबर में शुरू हो रही मणिमहेश यात्रा में श्रद्धालुओं को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ सकता है। डल झील में ठंड काफी बढ़ गई है। इसलिए यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को अपने साथ गर्म कपड़े लाना नहीं भूलना चाहिए। इस बार अधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा छह सितंबर को शुरू हो रही है।

जम्मू-कश्मीर के डोडा और कुठआ जिलों से 100 मणिमहेश यात्रियों का जत्था चार दिन की पैदल यात्रा करके सलूणी पहुंचा। लंगेरा से होते हुए यह जत्था सोमवार को सलूणी मुख्यालय पहुंचा, जहां पर ठहराव के लिए श्रद्धालुओं ने अपना डेरा जमाया हुआ है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने शिव भजनों से पूरे क्षेत्र को भक्ति के रंग में रंग दिया। जत्थे के साथ आए शिव गूरों का आशीर्वाद लेने के लिए स्थानीय लोग भी भारी तादाद में वहां पहुंचे। मणिमहेश जा रहे इस जत्थे से भेजा, पेंड़कु, पारिकोरा, गाठा और बुटला सहित अन्य इलाकों के भक्त शामिल हैं जो डोडा और कठुआ जिलों से संबंधित हैं।

श्रद्धालुओं ऋषि कुंजर, अमरीक सिंह, सुरेंद्र सिंह, रमेश कुमार, कश्मीर सिंह और पर्वत ने बताया कि वे चार दिन पहले मणिमहेश यात्रा पर निकले हैं। उनके साथ जम्मू पुलिस के जवान भी साथ थे जो उन्हें चंबा की सीमा तक सुरक्षित छोड़कर वापस लौट गए। कहा कि जन्माष्टमी वाले दिन वे मणिमहेश की पवित्र डल झील में स्नान करेंगे। 100 किलोमीटर का पैदल सफर करके यह जत्था वाया लंगेरा होकर सलूणी पहुंचा। यहां से भरमौर और मणिमहेश तक की आगामी यात्रा भी जत्था पैदल ही पूरी करेगा। मंगलवार को जत्था भरमौर के लिए प्रस्थान करेगा। मणिमहेश यात्रा का जन्माष्टमी न्हौण (स्नान) नजदीक आते ही जम्मू के श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़नी शुरू हो गई है।


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